विश्व की समाचार कथा

यूके ने दिया युवतियों को एक दिन का ब्रिटिश उच्चायुक्त बनने का अवसर

युवा महिलाओं को एक दिन के लिए उच्चायुक्त होने का मौका देकर यूके 11 अक्टूबर को अंतराष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस का जश्न मनाने जा रहा है।

यह 2016 to 2019 May Conservative government के तहत प्रकाशित किया गया था
IDG2018

भारत के ब्रिटिश उच्चायुक्त सर डोमिनिक एस्क्विथ ने आज 18 से 23 वर्ष की युवा महिलाओं के लिए सोशल मीडिया पर एक वीडियो डालने प्रतियोगिता शुरू की है, @UKinIndia को टैग करें और ‘आपकी नज़र में लैंगिक समानता क्या है?’ का जवाब दें।

विजेता को अक्टूबर 2018 के महीने में एक दिन के लिए उच्चायुक्त के रूप में पदभार संभालने का अवसर दिया जाएगा। वह सर डोमिनिक के साथ दिन के सामान्य कामकाज में, उच्चायोग के वरिष्ठ कर्मचारियों, भागीदारों और मीडिया के साथ बैठक में उपस्थित होने के साथ साथ उच्चायोग के अनेक कार्यों में उच्चयोग का साथ देंगी।

सर डोमिनिक एस्क्विथ ने कहा:

इस महत्वपूर्ण दिन का जश्न मनाने के लिए हम युवा महिलाओं को यह दिखाना चाहते हैं कि सब कुछ संभव है, और उन्हें लड़कियों के अधिकारों के महत्वपूर्ण मुद्दों के बारे में बात करने के लिए मंच भी प्रदान करना चाहते हैं ।

मैंने पिछले साल की विजेता रुद्रली पाटिल से बहत कुछ सीखा है, और मुझे पता है कि इस अनुभव ने उन्हें कई अन्य लोगों के जीवन में बदलाव लाने में मदद करने के लिए और भी प्रेरित किया है। मुझे खुशी है कि हम फिर से ये प्रतियोगिता कर रहे हैं और इस साल के विजेता से मिलने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

पिछले साल प्रतियोगिता की विजेता, एमिटी युनिवर्सिटी की रुद्राली पाटिल ने कहा:

अंतराष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस पर, ब्रिटिश उच्चायोग ने मेरे काम को मान्यता दी और मुझे कई लड़कियों के जीवन में बदलाव लाने में मदद की। एक लड़की के रूप में जन्म लेना स्वाधिकार है और एक दिन के लिए उच्चायुक्त के रूप में स्वीकृति मिलना सम्मान है।

वैश्विक स्तर पर यूके सरकार के लिए लैंगिक समानता एक प्रमुख प्राथमिकता है। भारत में यूके लड़कियों के अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए नियमित रूप से भारत भर में सिविल सोसाइटी, शिक्षा संस्थान, सरकार और सबसे महत्वपूर्ण लड़कियों के साथ साझेदारी करता है।

Terms and Conditions to participate:

प्रतियोगिता 18 से 23 वर्ष की बीच की युवा भारतीय महिलाओं के लिए है।

‘आपकी नज़र में लैंगिक समानता क्या है?’ का उत्तर देते हुए हमें एक छोटा सा वीडियो भेजें । अपना वीडियो शेयर करें और हमें टैग करें: फेसबुक: @BHCIndia, ट्विटर: @UKinIndia, इंस्टाग्राम: @UKinIndia. अपनी पोस्ट में #DayoftheGirl का उपयोग करें।

हर प्रतिभागी की केवल एक प्रविष्टि स्वीकार की जाएगी। एक ही व्यक्ति से कई प्रविष्टियों को अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा।

प्रतियोगिता में भाग लेने से, आप वीडियो के कॉपीराइट स्वामित्व को ब्रिटिश उच्चायोग (बीएचसी) को देते हैं। बीएचसी अपने चैनलों के लिए भविष्य में इसका उपयोग कर सकते है।

कृपया वीडियो या पोस्ट/ट्वीट पर अपने व्यक्तिगत विवरण शेयर मत करें। बीएचसी उन प्लेटफॉर्म पर आपके द्वारा सार्वजनिक किए जाने वाले डेटा के लिए ज़िम्मेदार नहीं है।

प्रतियोगिता 28 अगस्त से 23 सितंबर तक चलेगी । ब्रिटिश उच्चायोग में विजेता का चयन जूरी करेगी। हमारे सोशल मीडिया चैनलों पर विजेता की घोषणा की जाएगी।

प्रतिभागियों और विजेताओं के चयन के लिए ब्रिटिश उच्चायोग का निर्णय ही अंतिम होगा।

कोई पत्रव्यवहार स्वीकार नहीं किया जायेगा।

British High Commissioner to India Sir Dominic Asquith on International Day of the Girl Child

आगे की जानकारी

पिछले साल की विजेता रुद्राली पाटिल क़ानून में उच्च अध्ययन करना चाहती हैं और फिर अपने शहर- महाराष्ट्र के लातूर में वापस आ कर सामाजिक उद्यमी बनना चाहती है। पिछले 2 वर्षों में, उन्होंने ग्रामीण भारत में किशोर लड़कियों के अधिकारों के मुद्दे को उठाया है और लिंग संवेदीकरण शिविरों के माध्यम से कई बेटी बचाओ प्रोग्राम आयोजित किए हैं। उच्चायुक्त के रूप में, उन्होंने नेटवर्क में निदेशकों के साथ बैठक आयोजित की, उच्चायोग के विभिन्न विभागों का दौरा किया और भारत में महिलाओं और लड़कियों पर चर्चा में भाग लिया। इन बैठकों में उच्चायुक्त, सर डोमिनिक एस्क्विथ भी मौजूद थे। उन्होंने भारत में विदेशी और सुरक्षा नीति पर विदेशीय बैठक में भी भाग लिया।

वह तत्कालीन उप उच्चायुक्त, डॉ अलेक्जेंडर इवांस के साथ दिल्ली विश्वविद्यालय में ‘एक कूटनीतिज्ञ के साथ बातचीत’ कार्यक्रम के लिए गयीं, जहां उन्होंने लड़कियों के अधिकारों और उनके महत्व पर उनके विचार व्यक्त किए। उन्होंने एक दिन के लिए उच्चायुक्त होने के अपने अनुभव साझा करने के लिए पत्रकारों से भी बातचीत की।

अंतराष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस 2012 से मनाया जा रहा है। यह दुनिया भर में लड़कियों के अधिकारों को बढ़ावा देने और लड़कियों और लड़कों के बीच रहने वाली लिंग असमानताओं को उजागर करने की आवश्यकता को उजागर करने का अवसर है। यह एक संयुक्त राष्ट्र से अनुपालित है जिसे हर साल 11 अक्टूबर को आयोजित किया जाता है।

2016 और 2017 में, ब्रिटिश उच्चायुक्त ने लैंगिक समानता और न्याय तक पहुंच पाने का विचार साझा करने के लिए महिला नेताओं और कार्यकर्ताओं के भारतीय प्रतिनिधिमंडल को ब्रिटेन भेजा। बीएचसी ने अपने कानूनी अधिकारों पर 660 दलित महिला पैरालीगल समुदाय के प्रशिक्षण को वित्त पोषित किया और प्रशिक्षण दिया और जला देने जैसी हिंसा से महिलाओं की पुनर्वास में मदद की। महिला कार्यकर्ताओं के अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए उसने ब्रिटेन के ब्रांडों के साथ भी काम किया है; यह 13 कपड़े की कारखानों में 14000 श्रमिकों को लाभान्वित किया है।

यूके के अंतर्राष्ट्रीय विकास विभाग ने तीन राज्य सरकारों के साथ काम किया ताकि 20 लाख से अधिक महिलाओं के स्वास्थ्य और पोषण संबंधी अभ्यास में सुधार किया जा सके। ‘वर्क इन फ्रीडम’ क्षेत्रीय कार्यक्रम घरेलू और कपड़े की श्रमिकों के लिए सुरक्षित भर्ती को बढ़ावा देता है और 6 राज्यों में 100,000 महिलाओं को लाभान्वित किया है। भारत में डीएफआईडी के व्यापक कार्यक्रम भारत भर में महिलाओं और लड़कियों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालते हुए बहत सारी गतिविधियों मे समर्थन प्रदान करते रहेंगे। इसमें भारत सरकार की शिक्षा और स्वास्थ्य कार्यक्रमों के लिए समर्थन शामिल है जो भारत के शिक्षा का अधिकार अधिनियम, घरेलू हिंसा अधिनियम और गरीब महिलाओं की गैर-भेदभावपूर्ण पहुंच को प्रमुख योजनाओं और रोजगार की गारंटी और वन अधिकार जैसे अधिनियमों को बढ़ावा देने में मदद करता है।

मीडिया

मीडिया की प्रश्नों के लिए, कृपया संपर्क करें:

सैली हेडली, संचार प्रमुख
प्रेस और संचार, ब्रिटिश उच्चायोग
चाणक्यपुरी, नई दिल्ली 110021
टेलीः 24192100; फैक्स: 24192400

मेल करें: उपेंद्र सिंह

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प्रकाशित 28 August 2018
पिछली बार अपडेट किया गया 19 September 2018 + show all updates
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