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विज्ञान मंत्री ने न्यूटन पुरस्कार के विजेताओं की घोषणा के साथ ब्रिटेन-भारत की भागीदारी का स्वागत किया

विज्ञान मंत्री जो जॉनसन ने ब्रिटेन और भारत के बीच भावी साझेदारी के अंतर्गत और अधिक अनुसंधान समझौते की घोषणा भी की।

Science Minister announces winners of Newton Prize

जो जॉनसन ने आज दो दिवसीय भारतीय दौरे के दौरान न्यूटन पुरस्कार 2017 के पहले दो विजेताओं की घोषणा की इस अवसर पर उन्होंने भारतीय भागीदारों के सहयोग की ताकत और रिश्ते को आगे बढ़ाने के लिए ब्रिटेन की महत्वाकांक्षाओं को रेखांकित किया।

विनिंग प्रोजेक्ट के अंतर्गत प्रत्येक को 200,000 पाउंड का अनुदान मिलेगा जिसमें मातृक मृत्यु के सबसे बड़े कारणों पर रोकथाम हेतु गर्भवती माताओं के रक्तचाप और पल्स को मापने के लिए पोर्टेबल डिवाइस के विकास के साथ सौर ऊर्जा कार्यक्रम शामिल है जिसके तहत सस्ते और बेहतर सौर ऊर्जा को प्रदान करने पर ध्यान दिया जाएगा। दोनों परियोजनाएं यूके और भारतीय शोधकर्ताओं के बीच की भागीदारी हैं।

न्यूटन पुरस्कार को उस साझेदारी का जश्न मनाने और उसे प्रोत्साहित करने के लिए विकसित किया गया है जिसे ब्रिटेन के शोधकर्ताओं ने न्यूटन फंड सहयोगी देशों के अपने साथियों के साथ मिलकर बनाया है। आने वाले महीनों में मलेशिया, थाईलैंड और वियतनाम में भी पुरस्कारों की शुरूआत की जाएगी।

न्यूटन फंड के अंतर्गत विकसित साझेदारी द्वारा कई प्रमुख वैश्विक चुनौतियों के समाधान का प्रयास किया जाता है और दुनिया भर के तमाम लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए वैश्विक और ब्रिटेन के शोधकर्ताओं के कौशल का उपयोग किया जाता है।

जो जॉनसन ने कहा:

न्यूटन पुरस्कार के ये विजेता केवल महत्वपूर्ण मुद्दों पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के प्रतीक ही नहीं हैं, बल्कि ये विविध तरह के पारस्परिक लाभकारी अनुसंधान हेतु अपने वैश्विक भागीदारों के साथ काम करने की हमारी महत्वाकांक्षा को भी स्पष्ट करते हैं।

न्यूटन पुरस्कार यह दर्शाता है कि महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों को सुलझाने के लिए ब्रिटेन भागीदारों के साथ कैसे काम कर रहा है। यह विश्वस्तरीय रिसर्च और इनोवेशन सेक्टर की सहायता और अपने समय की प्रमुख चुनौतियों के समाधान हेतु सहयोगियों के साथ मिलकर काम करने में मदद की हमारी भावी औद्योगिक रणनीति के अंतर्गत किए गए कार्यों का पूरक है।

न्यूटन-भाभा फंड के रूप में जाना जाने वाला यूके-इंडिया न्यूटन फंड, 2021 तक 200 मिलियन से अधिक संयुक्त निवेश की सम्मिलित प्रतिबद्धता के साथ, ब्रिटेन-भारत अनुसंधान और नवाचार संबंधों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह सहयोग ब्रिटेन उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान और नवीनता का निर्माण करने और इसके वैज्ञानिक उत्कृष्टता को बनाए रखने में को सक्षम बनाता है।

न्यूटन पुरस्कार के विजेताओं की घोषणा के अलावा, जो जॉनसन ने इंडिया-स्पेसिफिक रदरफोर्ड फैलोशिप की भी घोषणा की जिसे ब्रिटिश म्यूजियम, ब्रिटिश लाइब्रेरी और नैचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के साथ-साथ ब्रिटिश एकेडमी के माध्यम से ग्लबोल रदरफोर्ड फैलोशिप द्वारा वितरित किया जाएगा।

जो जॉनसन ने न्यूटन-भाभा फंड द्वारा वित्त पोषित कई और अधिक अनुंसधानों की घोषणा की:

  • रिसर्च काउंसिल यूके और डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के प्रकाशक द्वारा एएमआर मैपिंग पर रिपोर्ट तैयार की गई है जो रोगाणुरोधी प्रतिरोध की गहन जानकारी प्रदान करती है और इस बढ़ती वैश्विक चुनौती से निपटने के लिए सुझावों की रूपरेखा तैयार करती है

  • रदरफोर्ड एप्पलटन लैबोरेटरीज के साइंस एंड टेक्नोलॉजी फैसिलिटी काउंसिल की सेंट्रल लेजर फैसिलिटी और भारत के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के बीच ज्वाइंट पायलट इनोवेशन प्रोजेक्ट जिसका उद्देश्य भारतीय इंजीनियरों को अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी में परिपक्व बनाना है क्योंकि वे साथ मिलकर हाई पावर लेसरों के लिए नियंत्रण प्रणाली विकसित करेंगे।
  • ‘निर्मित पर्यावरण में ऊर्जा की मांग में कटौती’ के अंतर्गत वित्त पोषित चार नई परियोजनाएं कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने के लिए समग्र उद्देश्य के तहत ऊर्जा के उपयोग और मांग की निगरानी करेंगी
  • भारत-ब्रिटेन जल गुणवत्ता कार्यक्रम के अंतर्गत वित्त पोषित आठ नई परियोजनाओं के माध्यम से भारत की जल गुणवत्ता में सुधार के लिए नीति निर्माताओं, जल प्रबंधकों, व्यवसायों और स्थानीय समुदायों की मदद की जाएगी।
  • इंडिया-यूके वॉटर सेंटर हेतु दो और वर्षों के लिए वित्त पोषण में विस्तार, जिससे यूके और भारत के शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं और जल प्रबंधकों के बीच सहयोग और साझेदारी में सहायता मिलेगी।
  • एनिमल एंड प्लांट हेल्थ प्रोग्राम हेतु कृषि-डेटा संवर्धन में 7 मिलियन पाउंड का संयुक्त निवेश जिसका लक्ष्य इस क्षेत्र में प्रत्येक देश की विशेषज्ञता में पशु और पौधों के स्वास्थ्य संबंधित आंकड़ों को बढ़ाना है।

आगे की जानकारी

  • दो सफल परियोजनाओं में से पहले के अंतर्गत प्रसूति रक्तस्राव, प्री-एक्लम्पियासिया और सेप्सिस की चुनौती से उबरने का प्रयास किया गया है जो विश्वभर में 50% से अधिक मातृत्व मौतों का कारण हैं। लंदन के सेंट थॉमस अस्पताल और भारत के बेलगाम के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के विजेता वैज्ञानिकों ने एक ऐसे उपकरण का शुरूआती परीक्षण किया जो रक्तचाप और पल्स को मापने का काम करता है और बिजली की कम खपत के साथ यह उपकरण सस्ता, पोर्टेबल और उपयोग में आसान है । इस उपकरण को पहले से ही एशिया और अफ्रीका के 10 देशों में पेश किया जा चुका है, और इसके प्रारंभिक परिणामों से पता चलता है कि यह सिस्टम जटिलताओं के खतरों का पूर्वानुमान लगा लेता है और मैटरनिटी केयर में इसको पेश करने से जिंदगियों को बचने में मदद मिलेगी।चिकित्सा अनुसंधान परिषद और जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारत इस परियोजना के लिए यूके और भारतीय साझीदार हैं।

  • दूसरा न्यूटन पुरस्कार विजेता एपेक्स-II प्रोग्राम है, जिसके अंतर्गत एक नये उत्पाद को विकसित किया जा रहा है जो स्वच्छ, सतत और किफायती ऊर्जा प्रदान करने के लिए सोलर सेल्स का उपयोग करता है और इसकी अगुआई ब्रूनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ लंदन और दिल्ली के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा की जा रही है। कम लागत और उच्च कार्यक्षमता वाली ऊर्जा वैश्विक विकास की एक प्रमुख चुनौती है, और पर्वोस्काइट सोलर सेल्स की तकनीक को अत्याधुनिक बनाकर यह परियोजना इस चुनौती से निपट रही है और सस्ते व विकसित सोलर सेल्स को विकसित करके दुनिया भर के लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधारना चाहती है। इससे यूके के शोधकर्ताओं को सौर ऊर्जा में नई तकनीक को विकसित करने के लिए सबसे बेहतरीन वैज्ञानिकों की विशेषज्ञता पर काम करने में मदद मिलती है जिससे ब्रिटेन और भारत दोनों को लाभ होता है। इंजीनियरिंग एंड फिजिकल साइंसेज रिसर्च काउंसिल और डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, इंडिया इस परियोजना के लिए ब्रिटिश और भारतीय भागीदार हैं।

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प्रकाशित 1 November 2017