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ब्रिटेन के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विभाग ने अपनी पहली वर्षगांठ मनाई

ब्रिटेन-भारत आर्थिक एवं व्यापारिक संबंधों में मजबूती के साथ हुआ विकास।

UK-India

आज, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सचिव डॉ. लियाम फॉक्स ने एक बेहतरीन व्यापारिक राष्ट्र के रूप में ब्रिटेन के इतिहास को आगे बढ़ाने और ब्रिटिश व्यवसाय को निर्यात के लिए प्रोत्साहित करके अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विभाग (डीआईटी) की पहली वर्षगाँठ मनाई।

मुक्त व्यापार और खुले बाजार के एक प्रमुख समर्थक के रूप में, डीआईटी ब्रिटेन के व्यवसाय को बाकी दुनिया के साथ उत्पन्न हुए व्यापार के शानदार मौकों को हासिल करने में मदद कर रहा है और हमारे यूरोपीय संघ को छोड़ने के बाद व्यापारिक सौदों को हासिल करने के लिए अहम व्यापारिक भागीदारों के साथ काम कर रहा है।

डीआईटी ने पहले ही निर्यात के क्षेत्र में अरबों पाउंड को बचाने में मदद की है, और जुलाई 2016 में निर्माण के बाद से, विभाग ने नीचे दिए गए मुद्दों का भी समर्थन किया है:

  • भारत के लिए व्यापार शिष्टमंडल, जिससे 1.2 बिलियन पाउंड के व्यवसाय समझौते हुए
  • चीन के लिए अबतक का सबसे बड़ा स्वास्थ्य देखरेख शिष्टमंडल, जिससे ब्रिटिश संगठनों ने 250 मिलियन पाउंड से अधिक के व्यवसाय पर हस्ताक्षर किए
  • ब्रिटेन की वास्तु-कला कंपनियों को यूएई में दस मिलियन पाउंड का अनुबंध मिला है।

दुनिया भर में अपने प्रमुख व्यापारिक साझीदारों के साथ वाणिज्यिक संबंधों को मजबूत बनाने के लिए डीआईटी ने 15 देशों में 10 व्यापारिक कार्य समूहों की स्थापना भी की है।

हाल के आंकड़े से पता चला है कि ब्रिटेन ने वर्ष 2016-17 में अब तक के सबसे अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश परियोजनाओं को आकर्षित किया है। 2,200 से अधिक दर्ज परियोजनाओं के साथ जनमत संग्रह के बाद के आंकड़े से पता चलता है कि इसमें पिछले वर्ष की अपेक्षा 2% की वृद्धि हुई है। डेटा से यह भी पता चलता है कि 75,226 नए रोजगार का सृजन व 32,672 का संरक्षण हुआ है जिससे पूरे देश में प्रतिसप्ताह 2,000 से अधिक नौकरियों के अवसर पैदा हुए हैं।

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सचिव डॉ लियाम फॉक्स ने कहा:

पिछले 12 महीनों में हमने पहले से कहीं अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश परियोजनाओं को हासिल करने में मदद की है, ब्रिटेन के हज़ारों व्यवसायों को निर्यात के क्षेत्र में सहायता की है और दुनिया भर में ब्रिटेन के व्यापार मूल्यों को बढ़ावा देना जारी रखा है।

ब्रिटेन हमेशा एक उत्कृष्ट व्यापारिक देश रहा है और हम स्पष्ट व महत्वाकांक्षी मुक्त व्यापारिक समझौते और सीमा शुल्क समझौते सहित यूरोपीय संघ के साथ गहरी और विशेष साझेदारी करना चाहते हैं। और यूरोपीय संघ को छोड़ने के बाद हम बढ़ते वैश्विक बाजार का लाभ उठाने और ब्रिटेन के राष्ट्रीय हित में व्यापारिक संबंध को तैयार करने में सक्षम होंगे। हमारे सक्रिय और रचनात्मक व्यवसायों के लिए विदेश में अपने माल और सेवाओं को निर्यात करने के लिए इससे बेहतर समय कभी नहीं रहा है।

नवीनतम व्यापारिक आंकड़े बताते हैं कि वस्तुओं और सेवाओं को निर्यात के मामले में ब्रिटेन के निर्यात में वृद्धि हुई है - 2010 में निर्यात 23.2% की वृद्धि के साथ 547.6 बिलियन पाउंड का था और 2015 में इसमें 5.8% की बढोत्तरी हुई है**।

ब्रिटेन के साथ भारत के संबंधों की कामयाबी का सिलसिला जारी है, और यह ब्रिटेन के सबसे बड़े निवेशकों में से एक है। भारत ने पिछले साल ब्रिटेन के चौथे सबसे बड़े निवेशक के तौर पर 127 नई निवेश परियोजनाओं की स्थापना की है। 3,999 नए रोजगार के सृजन के साथ भारत ने 7645 मौजूदा नौकरियों को संरक्षित किया है जो किसी भी अन्य देश की तुलना में सबसे अधिक है।

यह ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था के मौलिक और अपरिवर्तित मजबूती के प्रति सच्ची प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

पीडब्लूसी और यूके इंडिया बिजनेस काउंसिल द्वारा समर्थित सीबीआई की सेकेंड स्टर्लिंग एसेट्स रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन ने भी तकरीबन 800,000 नौकरियों में सहयोग करके भारत में सबसे बड़े जी-20 निवेशक के तौर पर अपनी स्थिति को सुदृढ़ किया है।

भारत में कार्यकारी ब्रिटिश उच्चायुक्त डॉ एलेग्जेंडर इवांस ने कहा:

भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय व्यापार और निवेश के लगातार मजबूत हो रहे आंकड़े से पता चलता है कि दोनों देशों का जीवंत आर्थिक संबंधों का फलना-फूलना जारी है। अपनी पहली वर्षगांठ मना रहा हमारा डिपॉर्टमेंट फॉर इंटरनेशनल ट्रेड ऐसा केंद्र है जो द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को समृद्ध बनाने के साथ दोनों अर्थव्यवस्थाओं में रोजगार और विकास को सुनिश्चित करता है। जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि ब्रिटेन और भारत एक ‘अपराजेय संयोजन’ कर रहे हैं और इसमें अभी बहुत कुछ आना बाकी है।

आगे की जानकारी

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विभाग का काम ब्रिटेन के लिए नई व्यापारिक नीति बनाना और ब्रिटेन के व्यापार व निवेश को पूरी दुनियां में बढ़ावा देना है जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि ब्रिटेन वैश्विक व्यापार व निवेश में मजबूती के साथ सबसे आगे खड़ा है।

ग्रेट गव यूके, के माध्यम से इस विभाग ने ब्रिटेन के व्यवसायों को लाखो पाउंड के संभावित विदेशी व्यापार तक पहुंचने में मदद की है और अभी तक वेबसाइट पर 24 लाख से अधिक विजिट के साथ निर्यात को बढ़ाने या उसे बेहतर बनाने में उनकी सहायता की है।

पिछले महीने अंतरराष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञ क्रॉफर्ड फॉकनर को व्यापारिक वार्ताकारों के प्रमुख के रूप में काम करने के लिए मुख्य व्यापारिक वार्ता सलाहकार के तौर पर नियुक्त किया गया है और उनके पास व्यापार और विदेशी मामलों में सार्वजनिक सेवा का 25 साल से अधिक का अनुभव है।

इसके अलावा पिछले महीने विभाग की तरफ से ब्रेक्जिट के बाद भी ब्रिटेन में विकासशील देशों के लिए कर रहित अभिगमन को जारी रखने की घोषणा की गई थी। इस कदम का मतलब है कि बांग्लादेश, हैती और इथियोपिया सहित लगभग 48 देशों को ब्रिटेन द्वारा खरीदे गए सभी सामानों के प्रबंधन से लाभ मिलता रहेगा।

डीआईटी आंकड़ों में:

  • डीआईटी ने ऑस्ट्रेलिया, चीन, गल्फ कॉपरेशन काउंसिल, इस्राएल, भारत, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, तुर्की, अमेरिका और दक्षिण कोरिया सहित 15 देशों के साथ 10 कार्य समूहों की स्थापना की है
  • ब्रिटेन को महान, वैश्विक, व्यापारिक राष्ट्र के रूप में बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मंत्रियों ने 90 से अधिक अंतरराष्ट्रीय यात्राओं में 47 बाजारों का दौरा किया है।
  • डीआईटी में कर्मचारियों की संख्या को बढ़ाते हुए वैश्विक कार्यबल की संख्या को 3,100 तक पहुंचाया है जिसमें 1,291 लोगों का अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क शामिल है।
  • ऐसे व्यापार नीति समूह के आकार में पांच गुना की वृद्धि हुई है जिसमें नीति और देश के विशेषज्ञों के साथ साथ आर्थिक विश्लेषक और अधिवक्ता शामिल हैं

*2016 में माल का निर्यात 301.4 बिलियन पाउंड था (ब्रिटेन के कुल निर्यात का 55%), 2015 से इसमें 4.8% की वृद्धि हुई है और 2010 के बाद से इसमें 11.6% की वृद्धि हुई है। 2016 में सेवाओं का निर्यात 246.2 बिलियन पाउंड था 2015 से इसमें 7.1% की वृद्धि हुई है और 2010 के बाद से इसमें 41.4% की वृद्धि हुई है।

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प्रकाशित 13 July 2017