ब्रिटिश एयरोस्पेस के अनुसंधानकर्ता और कंपनियां साझेदारी के अवसरों की इच्छुक
ब्रिटिश प्रतिनिधिमंडल 22-24 अप्रैल के दौरान बेंगलुरू की यात्रा करेगा।
ब्रिटिश एयरोस्पेस के पांच जाने-माने अनुसंधानकर्ता और चार कंपनियों के प्रतिनिधि 22-24 अप्रैल 2013 को बेंगलुरू का दौरा करेंगे। बेंगलुरू स्थित ब्रिटिश उपउच्चायोग इस दौरे का आयोजन कर रहा है।
यह प्रतिनिधिमंडल भारतीय अनुसंधान संस्थानों एवं कंपनियों के साथ साझेदारी की संभावनाओं की तलाश करेगा और एयरोस्पेस के क्षेत्र में ब्रिटेन के अधुनातन अनुसंधान पर प्रकाश डालेगा।
प्रतिनिधिमंडल में शामिल पांच अनुसंधानकर्ता कैनफील्ड यूनिवर्सिटी, क्वीन्स यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर के हैं।
यूके साइंस एंड इनोवेशन नेटवर्क और यूके ट्रेड एंड इनवेस्टमेंट ने इनकी भारत-यात्रा की व्यवस्था की है। यह प्रतिनिधिमंडल 22 अप्रैल को ‘‘एडवांस्ड एयरफ्रेम टेक्नोलॉजीज़ पर आयोजित होने वाले यूके-इंडिया वर्कशॉप में भाग लेगा। नेशनल एयरोस्पेस लेबोरेटरीज (एनएएल) इस वर्कशॉप की सह-मेजबानी कर रही है। इसमें चर्चा के प्रमुख विषयों में एडवांस्ड मैटेरियल्स, डिजाइन और व्हीकल हेल्थ मॉनीटरिंग शामिल हैं।
ये प्रतिनिधि 23 अप्रैल को ‘‘टेक्नोलॉजीज़ एंड मैटेरियल्स फोर द फ्यूचर एयर व्हीकल’’ पर आयोजित होने वाले एक सत्र में भाग लेंगे। यह उद्योग जगत का एक इंटरएक्टिव प्रोग्राम है, जिसे सोसायटी ऑफ ऑटोमोटिव इंजीनियर्स-एयरोस्पेस चैप्टर द्वारा आयोजित किया जाएगा। सत्र में इंटेलीजेंट एयरक्राफ्ट एंड यूएवी, ऑल कंपोजिट्स प्लेन्स और उनकी चुनौतियों पर प्रस्तुतियां दी जाएंगी तथा उन पर चर्चा होगी।
अपनी बेंगलुरू-यात्रा के दौरान प्रतिनिधि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएस) और नेशनल एयरोस्पेस लेबोरेटरीज (एनएएल) जैसे भारतीय अनुसंधान संस्थानों और कंपनियों का भी दौरा करेंगे।
बेंगलुरू स्थित ब्रिटिश उपउच्चायुक्त इआन फेल्टन ने कहा : ‘‘मुझे इस बात की खुशी है कि ब्रिटेन के एयरोस्पेस अनुसंधानकर्ताओं और कंपनियों के प्रतिनिधियों का उच्च प्रौद्योगिकी मिशन इस सप्ताह के दौरान अपने भारतीय सहयोगियों के साथ विभिन्न सत्रों में चर्चा करेगा। हम एयरोस्पेस सेक्टर में अपने अनुसंधान और व्यावसायिक संबंधों को मजबूत बनाने के प्रति उत्सुक हैं, जो ब्रिटेन और भारत के भविष्य की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण हैं।’’
ब्रिटिश प्रतिनिधिमंडल में शामिल अनुसंधानकर्ता हैं :
- प्रो. ब्रियान जी फाल्झन, रॉयल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग - बॉम्बारडियर चेयर इन एयरोस्पेस कंपोजिट्स, डिपार्टमेंट ऑफ मेकेनिकल एंड एयरोस्पेस इंजीनियरिंग, क्वीन्स यूनिविर्सटी।
- प्रो. कॉन्स्टेनटिनोज सौटीज, चेयर ऑफ एयरोस्पेस इंजीनियरिंग, डायरेक्टर, एयरोस्पेस रिसर्च इंस्टीट्यूट, यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर।
- डा. एड्रियन मर्फी, डायरेक्टर, रिसर्च, एयरोस्पेस एंड मैन्यूफैक्चरिंग, क्वीन्स यूनिविर्सटी।
- प्रो. इयान जेसिन्स, डायरेक्टर, आईवीएचएम सेन्टर, एयरोस्पेस एंड मैन्यूफैक्चरिंग, क्वीन्स यूनिवर्सिटी।
- एंड्रयू शॉ, नेशनल सेंटर मैनेजर, ईपीएसआरसी सेन्टर फोर इनोवेटिव मैन्यूफैक्चरिंग इन थ्रू-लाइफ इंजीनियरिंग सर्विसेज, क्रैनफील्ड यूनिवर्सिटी।
इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल कंपनियां हैं :
- बीएई सिस्टम्स
- ग्रुप रोड्स
- ब्ल्यू बीयर सिस्टम्स एंड रिसर्च
- डेल्कैम
विस्तृत जानकारी:
अधिक जानकारी पाने के लिए कृपया संपर्क करें : सुनील कुमार, मोबाइल : 91-9980226441
ब्रिटेन का यूरोप में विशालतम एयरोस्पेस उद्योग है और उसका विश्व में दूसरा स्थान है। उसकी वैश्विक बाजार में 17 प्रतिशत हिस्सेदारी है। उसने वर्ष 2011 में 35 अरब पाउंड से भी अधिक का कारोबार किया।
एयरोस्पेस सेक्टर प्रतिवर्ष अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी) पर 3 अरब पाउंड का खर्च करता है। ब्रिटेन टिकाऊ विमानन सेक्टर के विकास में अग्रणी रहा है। ब्रिटिश एयरोस्पेस कंपनियों द्वारा आर एंड डी पर खर्च की जाने वाली राशि में पर्यावरणीय प्रौद्योगिकी का हिस्सा 75 प्रतिशत है। आर एंड डी के प्रमुख कार्यक्रमों में रॉल्स-रॉयस नीत पर्यावरण हितैषी इंजन और एयरबस यूके नीत नेक्स्ट जनरेशन कंपोजिट विंग प्रोजेक्ट भी शामिल हैं।
ब्रिटेन में 2,500 से भी अधिक एयरोस्पेस कंपनियां कार्य करती हैं, जिनमें अग्रणी ब्रिटिश कंपनियां- बीएई सिस्टम्स, जीकेएन एवं रॉल्स रॉयस और अग्रणी यूरोपीय कंपनियां- एयरबस, कोभाग एवं थेल्स और वैश्विक रूप से विशाल व्यावसायिक कंपनियां- बोइंग एवं बॉम्बारडियर शामिल हैं।
यूके ट्रेड एंड इनवेस्टमेंट (यूकेटीआई): यूकेटीआई एक सरकारी संगठन है, जो अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में सफल होने में ब्रिटेन स्थित कंपनियों को मदद करता है और ब्रिटेन में उच्च गुणवत्तापरक आवक निवेश आकर्षित करने का प्रयास करता है।
यूके साइंस एंड इनोवेशन नेटवर्क (एस एंड आईएन): एस एंड आईएन भारत में विज्ञान एवं नीति संबंधी उभरती प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित करता है और उसका उद्देश्य नई वैज्ञानिक साझेदारियों में सहायक बनना और नए गठजोड़ों के प्रारंभिक चरणों में उत्प्रेरक के रूप में कार्य करना है। यह ब्रिटेन और भारत में उनके साझेदारों में अकादमिक संस्थानों, अनुसंधान प्रतिष्ठानों एवं कारोबारियों के बीच आर एंड गठजोड़ों को बढ़ावा देता है तथा उनमें मदद करता है।
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