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यूके-भारत द्वारा नई दिल्ली में स्मार्ट एग्रीकल्चर कॉन्क्लेव का आयोजन

नई दिल्ली में 29 से 31 अगस्त 2017 को यूके के साथ मिलकर डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के स्मार्ट एग्रीकल्चर कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया।

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विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत इंडियन डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी (डीबीटी) द्वारा ब्रिटेन के बायोटेक्नोलॉजी और बायोलॉजिकल साइंस रिसर्च काउंसिल (बीबीएसआरसी) और रिसर्च काउंसिल यूके (आरसीयूके) इंडिया के साथ मिलकर नई दिल्ली में स्मार्ट एग्रीकल्चर कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया।

इस सम्मेलन का उद्देश्य ‘फार्मरजोन’ बनाना था - जो स्मार्ट एग्रीकल्चर के लिए कलेक्टिव ओपन सोर्स डेटा प्लेटफॉर्म है और जिसके द्वारा छोटे और सीमांत किसानों के जीवन में सुधार के लिए बायोलॉजिकल रिसर्च और डेटा का उपयोग किया जाएगा। यह माना जा रहा है कि बाजार की समझ के लिए ‘फार्मरजोन’ के माध्यम से किसानों को जलवायु परिवर्तन से लेकर मौसम के पूर्वानुमान को समझने और मिट्टी, पानी व बीज की आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिलेगी।

यह कॉन्क्लेव डीबीटी का विजन है जो भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के कृषि में प्रभावी निर्णय लेने की आकांक्षा के अनुरूप है जिसमें विज्ञान, प्रौद्योगिकी, नवीनता और कृषि पारिस्थितिक तंत्र को एकीकृत किया जाता है।

एग्रीकल्चर कॉन्क्लेव के साथ डीबीटी का उद्देश्य भारतीय कृषि के एक प्रमुख घटक छोटे और सीमांत भूमि वाले किसानों की मदद करने के लिए प्रौद्योगिकी हस्ताक्षेप की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना है।

इस कॉन्क्लेव में प्रत्येक कृषि-जलवायु क्षेत्र में आने वाले चुनौतियों की पहचान की गई और वैज्ञानिक मध्यवर्तन द्वारा उनके संभावित समाधानों पर चर्चा की गई। फार्मरजोन प्लेटफार्म किसानों व वैज्ञानिकों, सरकारी अधिकारियों, कृषि विशेषज्ञों, अर्थशास्त्रियों और तकनीक-आधारित स्थानीय एग्री-सॉल्यूशन को उपलब्ध कराने के लिए बिग-डेटा और ई-कॉमर्स के क्षेत्र में काम करने वाली ग्लोबल कंपनियों के प्रतिनिधियों को जोड़ने का काम करेगा।

यह प्लेटफॉर्म कृषि से संबंधित प्रासंगिक आंकड़ों को प्राप्त करने, किसानों से जुड़ने और डेटा डिलीवरी के लिए पीपीपी आधारित उद्यमों को बनाने के लिए सेन्टनल साइट्स को विकसित करने का काम करेगा।

खाद्य सुरक्षा एक वैश्विक मुद्दा है और लाखों परिवारों की आजीविका छोटे पैमाने पर होने वाली कृषि पर निर्भर करती है। कॉन्क्लेव में इस चुनौती से सामूहिक रूप से निपटने पर चर्चा की गई और प्रभाव को प्राप्त करने व मजबूत एवं सतत रिसर्च और इनोवेशन साझेदारी का निर्माण करने के लिए वैश्विक संदर्भ में भारत और उसके अंतरराष्ट्रीय भागीदारों की बेहतरीन शोध शक्ति का प्रदर्शन किया गया।

दो दिनों तक पॉलिसी, आईटी, एग्रीटैक कम्पनियों के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों, शिक्षाविदों, किसानों और प्रतिनिधियों ने भारत, ब्रिटेन और अन्य देशों की रिसर्च और इनोवेशन एजेंसियों के साथ विचारों को कार्यान्वित किया गया और नए निर्माण के लिए उनकी संभावित भूमिका पर चर्चा की गई, जिससे दुनिया के कई विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों में विस्तार किए जाने की संभावना वाले पब्लिक गुड -‘फार्मरजोन’ को निर्मित और विकसित करने में मदद मिलेगी।

फार्मर ज़ोन इनिशिएटिव की सराहना करते हुए केन्द्री य विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वीव विज्ञान तथा पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा कि इसकी प्रारंभिक रूपरेखा काफी प्रभावशाली है, हमारे प्रधानमंत्री का सपना 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करना है इसलिए इस सम्मेलन की सिफारिशों को जल्द से जल्द लागू किया जाएगा।

इस सम्मेलन की अध्यक्षता डीबीटी के सचिव प्रोफेसर विजयराघवन ने की। उन्होने कहा:

इस सम्मेलन ने किसानों, वैज्ञानिकों और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र के व्यापारियों के विभिन्न समूहों को जोड़ा है जो विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों के फार्मिंग इकोसिस्टम के सॉल्यूशन पर फोकस करने वाले ‘फार्मरजोन’ को विकसित करने के लिए रिसर्च और टेक्नोलॉजी का उपयोग करने के डीबीटी के विजन को साझा करते हैं।

भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त सर डोमिनिक एस्क्विथ ने कहा:

आधिकारिक और शैक्षिक स्तर पर हुई इस संयुक्त पहल से यूके और भारत के बीच तेजी से बढ़ते रिश्ते और मजबूत होंगे, और लोगों के फायदे के लिए रिसर्च, इनोवेशन और टेक्नोलॉजी का उपयोग करने के दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के उत्साह को प्रभावी बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे।

बीबीएसआरसी के लिए इंटरनेशनल डिप्टी एग्जीक्यूटिव स्टीव विस्चर सीबीई ने कहा:

महत्वपूर्ण अनुसंधान देश - भारत के साथ यूके रिसर्च काउंसिल्स की मजबूत और बढ़ती हुई साझेदारी है। बीबीआरआरसी और आरसीयूके को भारत और दुनिया के अन्य क्षेत्रों को फायदा पंहुचाने वाले ‘फार्मरजोन’ को विकसित करने के डीबीटी के विजन को पूरा करने के लिए उसके साथ मिलकर काम करने की खुशी है। यह साझेदारी वैश्विक चुनौतियों से निपटने और समृद्धि को बढ़ाने में रिसर्च इनोवेशन की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाती है।

नए संयुक्त पहल न्यूटन-भाभा फंड - ‘यूके-इंडिया एग्रीकल्चरल डेटा: यूके की साइंस व टेक्नोलॉजी फसिलिटी काउंसिल (एसटीएफसी), बीबीआरएससी और डीबीटी के नेतृत्व में एकीकरण, व्याख्या और पुन: प्रयोज्यता द्वारा वृद्धि’ के अंतर्गत साझेदारी करके भारत और ब्रिटेन काफी खुश हैं। इस संयुक्त कार्यक्रम का उद्देश्य पशु और पौधों के स्वास्थ्य पर केंद्रित मौजूदा एग्रीकल्चरल डेटा के वैल्यू को बढ़ाना है जिससे प्रभावी कीट और रोग प्रबंधन के बारे सूचित करने वाली नई जानकारियां मिलेंगी।

डीबीटी के संसाधनों सहित इस प्रोग्राम के लिए उपलब्ध कुल यूके बजट 3.5 मिलियन पाउंड ( 1.75 मिलियन पाउंड बीबीएसआरसी और 1.75 मिलियन पाउंड एसटीएफसी) का है।

यह संयुक्त पहल कार्यक्रम यूके और उभरती हुई ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्थाओं के बीच रिसर्च व इनोवेशन की साझेदारी को मजबूत करने के उद्देश्य से बनाए गए - न्यूटन-भाभा फंड द्वारा समर्थित।

आने वाले महीनों में इस कार्यक्रम को विकसित करने के लिए ब्रिटेन के डिलिवरी पार्टनर और डीबीटी साथ मिलकर काम करेंगे, अपडेट व अधिक जानकारी के लिए नियमित रूप से डीबीटी और बीबीआरएसआरसी की वेबसाइट्स पर विजिट करें।

अधिक जानकारी

  • डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी (डीबीटी),मिनिस्ट्री ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, भारत का एक प्रमुख संगठन है, जो देश में जीव विज्ञान के अनुसंधान तथा विकास को बढ़ावा देता है। यह जैव-प्रौद्योगिकी के बड़े पैमाने पर इस्तेमाल को बढ़ावा देने, अनुसंधान तथा विकास तथा जीवविज्ञान में निर्माण को बढ़ावा देने, स्वायत्त संस्थानों को मदद करने, विश्व विद्यालयों को सहायता प्रदान करने तथा उद्योग गतिविधियों को बढ़ावा देने, आर एंड डी के लिए उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना तथा पहचान करने, मानव संसाधन विकास के लिए समेकित कार्यक्रम चलाने, विशिष्ट अंतर्राष्ट्रीय सहयोगों के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में कार्य करने, आर एंड डी के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर सुविधाओं तथा सेल आधारित वैक्सीन के अनुप्रयो को बढ़ावा देने तथा जैव प्रौद्योगिकी से जुड़ी जानकारी के संग्रह तथा प्रसार के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है।

  • यूके की बायोटेक्नोलॉजी एंड बायोलॉजिकल साइंसेज रिसर्च काउंसिल (बीबीएसआरसी) उन सात रिसर्च काउंसिल में से एक है जो साथ मिलकर रिसर्च काउंसिल यूके (आरसीयूके) के रूप में काम करते हैं। बीबीएसआरसी को ब्रिटेन सरकार के व्यापार, ऊर्जा और औद्योगिक रणनीति विभाग द्वारा वित्त पोषित किया जाता है। 2015-16 में उन्होंने विश्व स्तरीय बायोसाइंस, पीपल और रिसर्च इंफ्रास्ट्रक्चर में 473 मिलियन पाउंड का निवेश किया था और लगभग 1600 वैज्ञानिकों और ब्रिटेन के विश्वविद्यालयों और संस्थानों के 2000 शोध छात्रों की मदद की थी। बीबीएसआरसी का विजन 21वीं सदी के बायोसाइंस का नेतृत्व करना, बायो-इकोनॉमी में इनोवेशन को बढ़ावा देना और ब्रिटेन के अंदर और बाहर समाज के लिए उसके फायदों का एहसास कराना है।

  • 2008 में प्रारंभ किए गए रिसर्च काउंसिल्स यूके (आरसीयूके) इंडिया का लक्ष्य यूके तथा भारत के बेहतरीन अनुसंधानकर्ताओं को साथ लाना है और उनके बीच उच्च गुणवत्ता, उच्च प्रभाव वाले अनुसंधान सहयोगों की स्थापना करना है। आरसीयूके इंडिया, ब्रिटिश उच्चायोग, नई दिल्ली में स्थित है, जिसने यूके तथा भारत व अन्य पक्षों के बीच 230 बिलियन पाउंड से अधिक के प्रयासों का सहवित्त पोषण किया है। अनुसंधान सहयोगों से यूके तथा भारतीय उद्योग के सहयोगी जुड़े हैं, जहां अनुसंधान में 100 से अधिक सहयोगी शामिल हैं। आरसीयूके इंडिया भारत के सात प्रमुख कोष प्रदाताओं के साथ सह-वित्त पोषित अनुसंधान गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल है, जो कई सारे अनुसंधान विषयों तथा वैश्विक चुनौतियों से निपटने से जुड़ा है।

  • रिसर्च काउंसिल्स यूके (आरसीयूके) यूके के सात रिसर्च काउंसिल्स का एक रणनैतिक सहयोगी है। हमारा सामुहिक लक्ष्य है यूके को अनुसंधान, आविष्कारी कार्यों तथा व्यवसाय के विकास के लिए अनुकूल स्थान के रूप में बनाए रखना। रिसर्च काउंसिल्स आर्थिक विकास तथा सामाजिक प्रभाव के लिए अनुसंधान तथा इनोवेशन का प्रमुख संगठन है। साथ मिलकर हम अनुसंधान में हर वर्ष £3 मिलियन का निवेश करते हैं, जिसमें सभी विषयों तथा सेक्टर शामिल हैं। हमारे निवेश अनुसंधान फंडिंग, लीडरशिप तथा इंफ्रास्ट्रक्चर के जरिए नए ज्ञान का सृजन करते हैं; तथा यूके के अनुसंधान कार्यों को दिशा देते हैं। हम आविष्कारी कार्यों को इस प्रकार आगे बढ़ाते हैं: पर्यावरण तथा सहयोग का सृजन कर; 2,500 व्यवसायों के साथ अनुसंधान तथा इनोवेशन को बढ़ावा देकर, जिनमें से 1,000 एसएमई हैं; तथा नीति निर्माण के लिए इंटेलिजेंस प्रदान कर रहे हैं। सात यूके रिसर्च काउंसिल इस प्रकार से हैं:
  • आर्ट्स एंड ह्युमैनिटीज़ रिसर्च काउंसिल
  • बायोटैक्नोलॉजी एंड बायोलॉजिकल साइन्सेज रिसर्च काउंसिल
  • ईकोनॉमिक एंड सोशल रिसर्च काउंसिल
  • इंजीनियरिंग एंड फिज़ीकल साइंसेज रिसर्च काउंसिल
  • मेडिकल रिसर्च काउंसिल
  • नेचुरल एन्वायरनमैण्ट रिसर्च काउंसिल
  • साइंस एंड टेक्नोलॉजी फ़ैसिलिटीज़ काउंसिल

  • भारत में न्यूटन फंड को न्यूटन-भाभा फंड के रूप में जाना जाता है। न्यूटन फंड 18 सहयोगी देशों में रिसर्च व इनोवेशन पार्टनरशिप को मजबूत बनाता है, ताकि वे देश अपने आर्थिक विकास व सामाजिक कल्याण को बढ़ावा दे सकें और दीर्घकालिक धारणीय विकास हेतु अपने अनुसंधान व नवाचार क्षमता का विकास कर सकें। इसके तहत यूके सरकार की ओर से वर्ष 2021 तक कुल 735 मिलियन पाउंड का योगदान किया जाएगा, जहां इतने ही संसाधनों को सहयोगी देशों से प्राप्त किया जाएगा। न्यूटन फंड को यूके डिपार्टमेंट फॉर बिजनेस, एनर्जी एंड इंडस्ट्रियल स्ट्रेटजी द्वारा प्रबंधित किया जाता है और इसे रिसर्च काउंसिल्स, यूके ऐकेडमिक्स, ब्रिटिश काउंसिल्स, इनोवेट यूके तथा मेट ऑफिस समेत यूके के 15 सहयोगी देशों को मुहैय्या कराया जाता है।

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प्रकाशित 1 September 2017