भारतीय आमों पर लगे प्रतिबंध की समाप्ति का डीईएफआरए द्वारा स्वागत
पर्यावरण, खाद्य और ग्रामीण मामलों के विभाग ने भारत से आमों के आयात पर लगे प्रतिबंध को हटाने के लिए ईयू द्वारा किए गए मतदान का स्वागत किया।
ब्रिटिश सरकार के ‘प्लांट हेल्थ एंड सीड इंस्पेक्टोरेट’ के विशेषज्ञों ने भारतीय प्राधिकारों के साथ मिलकर उनके निर्यात प्रणाली पर ईयू ऑडिट तैयार करने के लिए काम किया, जिसके परिणामस्वरूप ईयू की ‘प्लांट हेल्थ स्टैंडिंग कमिटी’ ने उम्मीद से बहुत पहले ही इस प्रतिबंध को हटाने के लिए आज मतदान किया। अन्य सदस्य देशों के साथ मिलकर ब्रिटेन ने प्रतिबंध को हटाने के पक्ष में वोट डाला। इसका अर्थ यह हुआ कि अलफांसो आमों तथा भारत में पैदा होने वाले अन्य फलों के किस्मों का आयात यूरोप द्वारा जल्द ही दुबारा शुरू किया जाएगा।
प्राकृतिक पर्यावरण के मंत्री लॉर्ड डि मॉले ने कहा:
मामले के यथासंभव शीघ्र समाधान के लिए हम अपने भारतीय और यूरोपीय समकक्षों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और मुझे इस बात की खुशी है कि आमों का व्यापार फिर से शुरू हो सकेगा।
आज का फैसला भारत द्वारा अपनी निर्यात प्रणाली में किए गए सुधारों को रेखांकित करता है और यह महत्वपूर्ण है कि इन मानकों को बनाए रखा जाए ताकि व्यापार जारी रहे और ब्रिटेन की पादप सुरक्षा (प्लांट हेल्थ) सुरक्षित रहे।
मुझे इस बात की बहुत खुशी है कि इस दौरान ब्रिटेन भारत की सहायता हेतु डिफेरा के ‘प्लांट हेल्थ एंड सीड इंस्पेक्टोरेट’ द्वारा मुहैया कराई गई तकनीकी सहायता के साथ अपनी भूमिका के निर्वाह में सफल रहा।
लगभग एक महीने में, नए ईयू कानून के लागू हो जाने और यूरोपीय आयोग द्वारा प्रकाशित कर दिए जाने के बाद आयात शुरू हो जाएगा। समिति द्वारा अनुमोदन से मार्च में शुरू होने वाले 2015 के आयात सीजन के आने से पहले ही भारतीय निर्यातकों और ब्रिटेन के आयातकों के लिए परिदृश्य स्पष्ट हो जाएगा।
ईयू में प्रवेश करने वाले उत्पादों के सुरक्षित होने के बारे जांच की जानी जारी रहेगी और साथ ही इस बात की भी जांच की जाएगी कि क्या आमों के साथ जिन चार अन्य उत्पादों पर प्रतिबंध लगाए गए थे उन्हें मुक्त किया जाए या नहीं।
भारत से आने वाले खेपों में ब्रिटेन के 32.1 करोड़ पाउंड के सैलेड क्रॉप इंडस्ट्री के लिए खतरा साबित होने वाले पादप कीटों (पेस्ट) के बार-बार पाए जाने के बाद भारत के इन उत्पादों पर अस्थायी रोक लगाई गई थी। ईयू का प्रतिबंध दिसंबर 2015 तक लगा रहना था लेकिन आज के मतदान ने दर्शाया कि भारतीय अधिकारियों की कड़ी मेहनत रंग लाई है।
निर्यात प्रणाली में सुधार और रोक के बारे में जल्द समीक्षा के लिए भारत के उद्योग जगत और सरकार के प्रतिनिधियों के साथ ब्रिटिश सरकार ने बड़ा सहयोग किया। इसमें शामिल हैं ‘प्लांट हेल्थ एंड सीड इंस्पेक्टोरेट’ के विशेषज्ञों द्वारा अगस्त और फिर नवंबर में ईयू वित्तपोषित ‘बेटर ट्रेनिंग फॉर सेफर फूड’ प्रयास के अंग के रूप में किए गए भारत के प्रशिक्षण दौरे। इन बदलावों के परिणामस्वरूप प्रतिबंध पर समय से पहले रोक हटाने के लिए मामले के अवलोकन हेतु यूरोपीय आयोग अपने ऑडिटर- ‘द फूड एंड वेटरिनरी ऑफिस’- द्वारा समय पूर्व समीक्षा कराने को सहमत हुआ।
आगे की जानकारी:
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हानिकारक पादप कीटों के बार-बार भारतीय खेपों में पाए जाने और ईयू के फूड एंड वेटरिनरी ऑफिस (एफवीओ) द्वारा पहचान की जाने वाली खामियों पर लगातार कोई कार्रवाई न किए जाने के बाद ईयू द्वारा आयात निलंबन के कदम 26 अप्रैल 2014 को (2014/237/ईयू निर्णय के तहत) उठाए गए थे।
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आमों के आयात पर प्रतिबंध हटाने के फैसले से पहले सितंबर में एफवीओ द्वारा ऑडिट किया गया था जिसमें प्रतिबंध लगाने के बाद हुए सुधारों का मूल्यांकन किया गया। निष्कर्ष सकारात्मक आए, खासकर आमों की प्रक्रिया के संदर्भ में, जिसके परिणामस्वरूप ईयू की ‘प्लांट हेल्थ स्टैंडिंग कमिटी’ (पौधों, पशुओं, खाद्यपदार्थों और आहार पर स्थायी समिति- एससीओपीएएफएफ) ने आमों पर प्रतिबंध हटाने के लिए वोट किया।
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चार अन्य उत्पादों – मोमोर्डिका (करेला), सोलानम मेलोनजेना (बैंगन), कोलोकैसिया (अरवी) और ट्राइकोसैंथिस (चिचिंडा) पर प्रतिबंध अभी जारी है। इन पर से प्रतिबंध उठाने का फैसला तब लिया जाएगा जब यह देख लिया जाए कि एफवीओ को जो प्रगति दिख रही है, वह टिकाऊ रूप से आगे भी जारी रहे और उत्पादों से संबंधित पादप कीट निचले स्तर पर प्रतिबंध जारी रखने का कारण न बने। यदि ऐसा होता है तो इससे यह जाहिर हो जाएगा कि संपूर्ण भारतीय निर्यात प्रणाली में सुधार किया गया है और तब सभी प्रतिबंध उठा लिए जाएंगे।
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