साइबर सुरक्षा पर कार्यशाला में भारत और ब्रिटेन के शीर्ष अनुसंधानकर्ता एकजुट हुए
साइबर सुरक्षा को ब्रिटेन और भारत के बीच भविष्य की प्राथमिकता वाली गतिविधियों में से एक माना गया है।

रिसर्च काउंसिल्स यूके (आरसीयूके) और भारत के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने साइबर सुरक्षा पर चर्चा के लिए नई दिल्ली में एक कार्यशाला में भारत एवं ब्रिटेन के शीर्ष अनुसंधानकर्ताओं को एकजुट किया। गौरतलब है कि साइबर सुरक्षा एक अंतर्राष्ट्रीय मसला है, जिसके बारे में वैश्विक सहयोग की भारी जरूरत महसूस की जा रही है।
यह चार दिवसीय कार्यशाला रविवार, 24 मार्च को शुरू हुई और आरसीयूके ग्लोबल अनसरटेन्टीज प्रोग्राम के साथ मिल कर आरसीयूके इंडिया, इंद्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी-दिल्ली (आईआईटी-डी) और यूकेज साइंस एंड इनोवेशन नेटवर्क (एसआईएन) ने संयुक्त रूप से आयोजित की। इस कार्यक्रम द्वारा वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों के मद्देनजर यूके रिसर्च काउंसिल की गतिविधियों को एकजुट किया जाता है।
इस चर्चा में मुख्य विषय शामिल थे : साइबर अपराध, निजता एवं ऑनलाइन सोशल मीडिया में सुरक्षा, मानव फैक्टर एवं उपयोग योग्य सुरक्षा, जोखिम की पहचान, मॉनीटरिंग सिस्टम्स एवं नेटवक्र्स। इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों पर विश्व की बढ़ती निर्भरता के चलते साइबर हमलों द्वारा नुकसान पहुंचाने का गंभीर खतरा पैदा होने की संभावना होती है। बढ़ते खतरों, बढ़ती अरक्षितताओं और अधिक गंभीर दूरगामी परिणामों से हम सभी के सामने साइबर जोखिम में वृद्धि हुई है।
आरसीयूके इंडिया की डायरेक्टर डा. हेलन बैली ने कहा
हमें मौजूदा एवं भावी अरक्षितताओं के बारे में स्पष्ट समझ बनानी होगी और महत्वपूर्ण चुनौतियों के बारे में मौजूदा दृष्टिकोणों की अपर्याप्ताओं के अलावा नव-प्रवर्तक समाधानों के बारे में स्पष्ट मत विकसित करना होगा।
आईआईटी, दिल्ली के प्रोफेसर पोन्नुरंगम कुमारागुरु ने कहा- ‘‘हम अपनी अनुसंधान क्षमताओं की ताकत एवं पूरक उपायों की खोजबीन भी कर रहे हैं, साथ ही अनुसंधान के प्रमुख क्षेत्रों की पहचान कर रहे हैं, जिससे पारस्परिक लाभ के लिए संभावनाशील अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान सहयोग किया जा सकता है।
यह कार्यशाला ब्रिटेन और भारत के बीच अनुसंधान के क्षेत्र में बढ़ते संबंधों का अंग है और पिछले चार सालों में दोनों देशों ने अनुसंधान के लिए दी जाने वाली सहायता राशि में महत्वपूर्ण वृद्धि की है। 2008 में यह सहायता राशि एक मिलियन पाउंड थी, जो अब बढ़ कर 100 मिलियन पाउंड तक पहुंच गई है। साइबर सुरक्षा को ब्रिटेन और भारत के बीच भविष्य की प्राथमिकता वाली गतिविधियों में से एक माना गया है।
इस कार्यशाला में आईबीएम, मेकेफ्री, बीटी, सिटी यूनिवर्सिटी, रॉयल सोसायटी, इम्पीरियल कॉलेज, क्वीन्स यूनिवर्सिटी बेलफास्ट, नोर्थूम्ब्रिया, डरहम, लंकास्टर एवं साउथैम्पटन विश्वविद्यालयों के ब्रिटिश अध्येताओं ने भाग लिया, जबकि भारतीय प्रतिभागी विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी विभाग, आईआईटी, दिल्ली, इन्फोसिस, आईआईटी, हैदराबाद, आईआईटीएम, ग्वालियर, सी-डाक, टीआईएफआर, एनआईटी, सूरत, एनआईटीके सूरथकाल, सिमेन्टिक, बीआईटीएस, हैदराबाद और एनआईटी, जयपुर से संबद्ध थे।
ब्रिटेन के अनुसंधानकर्ता और भारत के कुछ अनुसंधानकर्ता हैदराबाद स्थित इन्फोसिस के परिसर का दौरा भी करेंगे, जहां साझा हित के क्षेत्रों की खोजबीन की जाएगी।
संपादकों के लिए नोट्स
कृपया विस्तृत जानकारी के लिए संपर्क करें :
- जिनी जॉर्ज, कम्युनिकेशन मैनेजर, आरसीयूके इंडिया।
- मेलानी नेट्श, आरसीयूके ग्लोबल अनसरटेन्टीज प्रोग्राम, फोन : 44 1793 413049
- प्रोफेसर पोन्नुरंगम कुमारागुरु, आईआईटी - दिल्ली
आरसीयूके ग्लोबल अनसरनेन्टीज प्रोग्राम द्वारा वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों के मद्देनजर यूके रिसर्च काउंसिंल की गतिविधियों को एकजुट किया जाता है। इस कार्यक्रम से सरकारों, कंपनियों और समाजों को सुरक्षा खतरों के बारे में बेहतर ढंग से भविष्यवाणी करने, पता लगाने, रोकने और उनमें कमी लाने में मदद मिलेगी। यह कार्यक्रम 2008 से 2018 तक चलाया जाएगा। रिसर्च काउंसिल्स की ओर से इकॉनोमिक एंड सोशल रिसर्च काउंसिल इस कार्यक्रम की अगुआई कर रहा है, जिसके तहत वैश्विक अनिश्चितताओं से संबंधित अनुसंधान एवं गतिविधियों के लिए 384 मिलियन का एक सहायता पोर्टफोलियो बनाया गया है। आरसीयूके ग्लोबल अनसरटेन्टीज प्रोग्राम के तहत निम्नांकित छह प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है :
- विचारधाराएं एवं धारणाएं,
- आतंकवाद,
- अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संगठित अपराध,
- साइबर सुरक्षा,
- ढांचागत सुविधाओं को खतरे, और
- रासायनिक, जैविक, रेडियोधर्मिता, परमाणु (सीबीआरएन) शस्त्रास्त्रों और प्रौद्योगिकी का प्रसार।
- ब्रिटिश उच्चायोग स्थित आरसीयूके इंडिया भारत में रिसर्च काउंसिल्स यूके का प्रतिनिधित्व करती है। आरसीयूके ने इस पहल की सह-मेजबानी की। 2008 में आरसीयूके की स्थापना की गई थी, जिसका उद्देश्य अनुसंधान साझेदारियों में मदद करना और उच्च गुणवत्तापरक एवं उच्च प्रभाव वाले सहयोग के विकास में ब्रिटेन तथा भारत के अति-प्रतिभाशाली अनुसंधानकताओं को सक्षम बनाना है।
- रिसर्च काउंसिल्स यूके (आरसीयूके) ब्रिटेन की सात रिसर्च काउंसिल्स की रणनीतिक साझेदार है, जो प्रतिवर्ष अनुसंधान पर 3 अरब पाउंड का निवेश करती है। हमारे सहयोगियों के फैसले के अनुसार हम उस उत्कृष्ट अनुसंधान को समर्थन देते हैं, जिसका संवृद्धि, समृद्धि और ब्रिटेन की भलाई पर प्रभाव पड़े। हम ब्रिटेन की वैश्विक स्थिति को बनाए रखने के लिए वित्तीय सहायता के विविध अवसर देते हैं, अंतर्राष्ट्रीय गठजोड़ों में सहायक बनते हैं और विश्व भर में उत्कृष्ट सुविधाओं और ढांचागत सुविधाओं तक पहुंच प्रदान करते हैं। हम अनुसंधानकर्ताओं के प्रशिक्षण एवं करियर विकास को समर्थन देते हैं और युवा लोगों को बढ़ावा देने के सिलसिले में उनके साथ मिल कर कार्य करते हैं। इसके अलावा, हम अनुसंधान के साथ जनता को व्यापक रूप से जोड़ते हैं। हम आर्थिक संवृद्धि एवं सामाजिक कल्याण के बारे में अधिकतम प्रभाव पैदा करने के लिए अनुसंधान के सिलसिले में वित्तीय सहायता देने वाले अन्य संगठनों के साथ मिल कर कार्य करते हैं, जिनमें टेक्नोलॉजी स्ट्रेटेजी बोर्ड, यूके हायर एजुकेशन फंडिंग काउंसिल्स, व्यावसायिक, सरकारी एवं परोपकारी संगठन भी शामिल हैं।
ब्रिटेन की सात रिसर्च काउंसिलें निम्नलिखित हैं:
- आट्र्स एंड ह्यूमेनिटीज रिसर्च काउंसिल्स (एएचआरसी),
- बॉयोटेक्नोलॉजी एंड बॉयोलॉजिकल साइंसेज रिसर्च काउंसिल्स (बीबीएसआरसी),
- इकॉनोमिक एंड सोशल रिसर्च काउंसिल्स (ईएसआरसी),
- इंजीनियरिंग एंड फिजिकल साइंसेज रिसर्च काउंसिल्स (ईपीएसआरसी),
- मेडिकल रिसर्च काउंसिल्स (एमआरसी),
- नेचुरल इनवायरनमेंट रिसर्च काउंसिल्स (एनईआरसी), और
- साइंस एंड टेक्नोलॉजी फेसिलिटीज काउंसिल्स (एसटीएफसी)।
- भारत का विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग देश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह विभाग विभिन्न किस्म की गतिविधियां आयोजित करता है, जिनमें उच्च स्तर का आधारभूत अनुसंधान और अधुनातन प्रौद्योगिकी का विकास भी शामिल हैं।
- आईआईटी, दिल्ली सूचना एवं प्रौद्योगिकी की शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान के क्षेत्र में एक उत्कृष्ट केंद्र है। इसके दो उद्देश्य निम्नलिखित हैं :
- सूचना एवं सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी में उन्नत अनुसंधान एवं विकास करना, और
- स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर पर विशिष्ट क्षमता वाले इंजीनियरों को प्रशिक्षण एवं शिक्षा देना।
- भारत स्थित यूके साइंस एंड इनोवेशन नेटवर्क ब्रिटेन और भारत में अकादमिक विद्वानों, अनुसंधान संगठनों और कंपनियों के बीच साझेदारियों को बढ़ावा देता है।