विश्व की समाचार कथा

जलवायु परिवर्तन पर ब्रिटेन-उड़ीसा साझेदारी

टिकाऊ विकास की दिशा में राज्य के साथ सहयोग।

Scott Furssedonn-Wood

‘उड़ीसा में ब्रिटेन’ कार्यक्रम के एक भाग के रूप में जलवायु परिवर्तन से निबटने के विषय पर एक उच्चस्तरीय सेमिनार में निम्न-कार्बन तथा जलवायु हितैषी विकास के मॉडल लागू करते हुए इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में उड़ीसा के साथ ब्रिटेन के सहयोग को रेखांकित किया गया। इसका आयोजन क्लाइमेट चेंज इनोवेशन प्रोग्राम (सीसीआईपी) के तहत किया गया। इसमें भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा ब्रिटिश सरकार के अंतर्राष्ट्रीय विकास विभाग (डीएफआईडी) के बीच साझेदारी पर चर्चा हुई।

सीसीआईपी कार्यक्रम भारत में उड़ीसा सहित छह राज्यों में चलाए जा रहे हैं। जलवायु परिवर्तन के जोखिमों और नियोजन तथा निवेश की प्रक्रियाओं में अवसर के समेकन के द्वारा यह जलवायु परिवर्तन से निपटने में भारत की क्षमता को मजबूती प्रदान करता है। इस कार्यक्रम के जरिए, राज्य में जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसानों को कम करने वाले उच्च प्राथमिकता के क्षेत्रों में प्रभावी नियोजन तथा निष्पादन की अपनी मौजूदा क्षमता को बढ़ाने में उड़ीसा सक्षम होगा। इससे जलवायु अनुकूल विकास के लिए राज्य को सार्वजनिक और निजी वित्त आकर्षित करने में भी सहायता प्राप्त होगी। इन गतिविधियों की मदद से सीसीआईपी कार्यक्रम राज्य में ‘जीवन जीने की समग्र दशाओं’ में सुधार लाएगा।

ब्रिटिश उप-उच्चायुक्त स्कॉट फर्सडोनवुड ने कहा:

मुझे इस बात का गर्व है कि ब्रिटिश सरकार ने उड़ीसा को जलवायु परिवर्तन से निपटने में उसके साथ घनिष्ठ रूप से मिलकर काम किया है। हमारी साझेदारी से राज्य को निम्न-कार्बन तथा जलवायु हितैषी विकास हासिल करने में मदद मिल रही है जिससे लोगों के जीवन और आजीविका में गुणात्मक सुधार आ रहा है।

क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक फिल मार्कर ने बाढ़ नियोजन, ठोस कचरा प्रबंधन और ताप द्वीपों (हीट आईलैंड्स) के मामले में उड़ीसा के साथ सीसीआईपी के आरंभिक सहयोग क्षेत्रों का वर्णन किया।

परिचर्चाओं से उड़ीसा में टिकाऊ विकास के मॉडल लागू करने की रूपरेखा तय करने में मदद मिली। जलवायु जोखिम पर राज्य को ब्रिटेन से मिलने वाले सहयोग के मुख्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की भी पहचान की गई जो लोगों की जीवन गुणवत्ता को सुधारने में मददगार सबित होंगे।

सीसीआईपी सहायता बड़ी संख्या में उड़ीसा के नागरिकों के लिए मददगार साबित हो सकती है। केवल बाढ़ की समुन्नत चेतावनी प्रणाली से राज्य के 20 लाख लोग लाभान्वित होंगे। जल संसाधन, कृषि विविधता और जलवायु सह्य शहरी ड्रेनेज प्रणाली जैसे विषयों को सहयोग के भावी क्षेत्रों में शामिल किया जा सकता है।

आगे की जानकारी:

  • सीसीआईपी का संचालन ऑक्सफोर्ड पॉलिसी प्रबंधन द्वारा किया जाता है।
  • सीसीआईपी भारतीय एवं ब्रिटिश सरकारों के बीच एक साझेदारी है और मई 2013 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया था।
  • सीसीआईपी भारत के छह राज्यों- असम, बिहार, छत्तीसगढ़, केरल, महाराष्ट्र और उड़ीसा में कर्यरत है।
  • यह कार्यक्रम निम्नलिखित गतिविधियों के क्षेत्र में सरकारों तथा अन्य हितधारकों को कोष एवं लचीली अनुक्रिया उपलब्ध कराएगा:
    • जलवायु हितैषी प्रयासों के निष्पादन हेतु योजना की प्रणालियों में बदलाव।
    • जलवायु परिवर्तन के बारे में नीति निर्माताओं का ज्ञान समृद्ध करना।
    • जलवायु हितैषी उपायों के अभिकल्पन और क्रियान्वयन में सहायता।
    • जलवायु अनुकूल विकास के लिए निवेश को बढ़ावा।
  • उड़ीसा राज्य बाढ़, तूफानी जलप्लावन, चक्रवाती महावृष्टि जैसे जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों की चपेट में अधिक आता है जिनकी गंभीरता में हाल के वर्षों में वृद्धि होने के संकेत पाए गए हैं।
  • सीसीआईपी की शुरुआत सितंबर 2014 में की गई और यह 2019 तक जारी रहेगा।

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प्रकाशित 27 August 2015