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आईडीएफसी द्वारा इनफ्रास्ट्रक्चर ऋण कार्यक्रम का परिचालन शुरू करने की घोषणा

डीएफआईडी-आईडीएफसी ऋण कार्यक्रम का परिचालन शुरू करने से भारत के निम्न आय वाले राज्यों में इनफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को बल मिलेगा।

यह 2010 to 2015 Conservative and Liberal Democrat coalition government के तहत प्रकाशित किया गया था
Mark Lowcock

ब्रिटेन के अंतर्राष्ट्रीय विकास विभाग के स्थायी सचिव मार्क लोकॉक और आईडीएफसी लिमिटेड के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. राजीव लाल ने डीएफआईडी-आईडीएफसी ऋण कार्यक्रम का परिचालन शुरू करने की घोषणा की जिससे भारत के निम्न आय वाले राज्यों में इनफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को बल मिलेगा। इस कार्यक्रम की शुरुआत अक्टूबर 2013 को की गई।

इसकी घोषणा भारत में इनफ्रास्ट्रक्चर (आधारभूत संरचना) को प्रोत्साहित करने में विकास वित्त संस्थाओं की भूमिका पर प्रकाश डालने के लिए आयोजित पैनल परिचर्चा के बिन्दुओं के अनुरूप की गई। पैनल में विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर डॉ. ओनो रुल (Onno Ruhl), आर्थिक मामलों के विभाग के संयुक्त सचिव श्री राजेश खुल्लर तथा अन्य विशेषज्ञ शामिल थे। वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, निजी क्षेत्र के प्रमुख भागीदार, अकादमिक विद्वान और सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधियों ने भी इसमें हिस्सा लिया।

कार्यक्रम पर चर्चा करते हुए मार्क लोकॉक ने कहा,

चूंकि डीएफआईडी वित्तीय सहायता से वापसी योग्य पूंजी की ओर मुड़ा है, आईडीएफसी के साथ की जाने वाली भागीदारी भारत के निर्धनतम राज्यों में विकास और संवृद्धि का मार्ग प्रशस्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करेगा। हमें उम्मीद है कि इस भागीदारी के जरिए हम 12 करोड़ पाउंड की पूंजी जुटाएंगे और 2,80,000 महिलाओं के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाल पाएंगे।

आईडीएफसी के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. राजीव लाल ने कहा,

डीएफआईडी के साथ सहभागिता दोनों संगठनों के लिए पारस्परिक लाभ की स्थिति है क्योंकि हम आज के अत्यंत जटिल निवेश वातावरण में सर्वोत्तम काम करना चाहते हैं। हमें इस बात का भरोसा है कि यह अनोखी भागीदारी अन्य बहुपक्षीय/द्विपक्षीय एजेंसियों और साथ ही निजी क्षेत्र के खिलाड़ियों को अल्पविकसित क्षेत्रों में निवेश के अवसरों की तलाश करने के लिए प्रोत्साहित करेगी। हमें इस बात का भी भरोसा है कि ऐसी व्यवस्थाएं न केवल देश के अल्प विकसित क्षेत्रों में लोगों के लिए संवृद्धि के अवसर मुहैया करेंगी बल्कि टिकाऊ विकास को भी सुनिश्चित करेंगी।

भारत में डीएफआईडी के प्रमुख सैम शार्प ने डीएफआईडी के निजी क्षेत्र पर बोलते हुए कहा,

आईडीएफसी ऋण कार्यक्रम निजी सेक्टर के हमारी नई पोर्टफोलियो का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो भारत के अल्प आय वाले आठ राज्यों में गरीबों और अभावग्रस्त लोगों को उपभोक्ताओं, उत्पादकों और कामगारों के रूप में लाभान्वित करने के लिए निजी निवेश उपलब्ध कराएगी। हालांकि इन राज्यों में भारत की आधी से अधिक जनसंख्या निवास करती है लेकिन इन्हें घरेलू निवेश का केवल एक चौथाई और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश का केवल 3% ही प्राप्त है।

आगे की जानकारी:

  • आईडीएफसी की स्थापना सार्वजनिक एवं निजी निवेशकों के एक कॉन्सोर्टियम के द्वारा निजी क्षेत्र के एक उद्यम के रूप में 1997 में हुई थी। इनफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में इसकी विशेषज्ञता और सरकार एवं इनफ्रास्ट्रक्चर प्रायोजकों के साथ मजबूत संबंध इसे उन क्षेत्रों के इनफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में निजी निवेश एवं सार्वजनिक-निजी भागीदारी उपलब्ध कराते हैं जहां बाजार संरचनाओं, सरकार की नीति और नियम शामिल हों।

हमारा मिशन है भारत में इनफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के लिए पसंदीदा वित्तप्रदाता और सलाहकार बनना। आईडीएफसी का लक्ष्य है शेयरहोल्डर के मूल्य को उसकी लाभदेयता, परिसंपत्तियों पर रिटर्न और इक्विटी पर रिटर्न में वृद्धि की रणनीति अपनाते हुए बढ़ाना।

आईडीएफसी ने पिछले 5 सालों में मजबूत वित्तीय प्रदर्शन किया है, जिसमें वित्त वर्ष 2013 में 23% सीएजीआर की दर पर टैक्स बढ़ने की बाद 2.5 अरब शुद्ध परिसंपत्ति पर 33.8 करोड़ अमेरिकी डॉलर का लाभ हुआ, बैलेंसशीट का आकार लगभग 13 अरब अमेरिकी डॉलर था और बाजार पूंजीकरण लगभग 4 अरब डॉलर था।
आगे की हमारी व्यवसाय नीति है इनफ्रास्ट्रक्चर केन्द्रित परियोजना वित्त, निवेश बैंकिंग और परिसंपदा प्रबंधन फ्रेंचाइज के साथ “भारत का विशिष्ट इनफ्रास्ट्रक्चर संस्थान बनना”।

  • भारत में डीएफआईडी के बारे में: कई दशकों से ब्रिटिश सरकार का अंतर्राष्ट्रीय विकास विभाग भारत सरकार के साथ भारत में गरीबी कम करने की प्राथमिकताओं और सहस्राब्दी विकास के लक्ष्य हासिल करने में मदद के लिए सक्रिय रूप से काम करता रहा है। भारत एक उभरती विश्वशक्ति है और साथ ही ब्रिटेन का एक महत्वपूर्ण साझेदार भी। जैसे-जैसे भारत की अर्थव्यवस्था विकसित हो रही है गरीबी कम हो रही है और वैश्विक मामलों में भारत का महत्व भी अभूतपूर्व गति से बढ़ रहा है साथ ही भारत के साथ ब्रिटेन की विकास साझेदारी भी फल-फूल रही है।

नवंबर 2012 में, भारत को ब्रिटिश अनुदान सहायता के समापन के साथ ब्रिटेन और भारत एक नए विकास संबंध की ओर बढ़ने को सहमत हुए। 2015 तक ब्रिटेन अभी वर्तमान में चल रही परियोजनाओं की अपनी सभी प्रतिबद्धताओं को पूरा कर लेगा। सभी नए कार्यक्रम संवृद्धि, व्यापार एवं निवेश, दक्षता और स्वास्थ्य, या लाभ देने के साथ-साथ गरीबों के लिए अवसरों का निर्माण करने वाली निजी क्षेत्र की परियोजनाओं में निवेश करने जैसे प्राथमिकता क्षेत्रों में दक्षताओं और विशेषज्ञता की साझेदारी पर केन्द्रित होंगे। खाद्य सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन जैसे वैश्विक विकास के मुद्दों पर हम भारत के साथ अपने संबंधों को मजबूत करेंगे।

2015 तक, डीएफआईडी इंडिया की कार्ययोजना है:

  • भारत के अल्प आय वाले राज्यों के निर्धनतम लोगों पर ध्यान केन्द्रित करना
  • महिलाओं और बालिकाओं को अपने (डीएफआईडी के) काम का मुख्य सरोकार बनाना
  • गरीबी से निबटने की दिशा में निजी क्षेत्रों की क्षमता का विस्तार करना और
  • दुनिया में अन्यत्र भी गरीब लोगों के लाभ के लिए वैश्विक मुद्दों पर भारत के साथ अपने संबंधों को और मजबूत बनाना।
प्रकाशित 18 March 2014