विश्व की समाचार कथा

ब्रिटिश रक्षा मंत्री का भारत दौरा

रक्षा मंत्री माइकल फलोन आज 30 अक्टूबर को भारत की यात्रा पर हैं।

यह 2010 to 2015 Conservative and Liberal Democrat coalition government के तहत प्रकाशित किया गया था
Michael Fallon

वह प्रथम विश्वयुद्ध में भारतीयों के बलिदान के सम्मान में स्मरोणत्सव की अगुवाई करेंगे और साथ ही भारतीय मंत्रीमंडल के सदस्यों और रक्षा अधिकारियों से भी मिलेंगे।

इस यात्रा के दौरान श्री फलोन के कई कार्यक्रम हैं जिनमें शामिल हैं भारतीय रक्षा एवं वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली से मुलाकात, ब्रिटेन के भारत के साथ रक्षा एवं सैन्य सहभागिता को और मजबूत करना।

श्री फलोन ने कहा,

मंत्री के रूप में अपनी पहली भारत यात्रा पर मुझे बेहद खुशी हो रही है। वैश्विक स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए ब्रिटेन और भारत के बीच घनिष्ठ सहभागिता की एक लंबी परंपरा रही है। मेरी यह यात्रा इस संबंध को और भी मजबूत और घनिष्ठ बनाने की हमारी प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है।

ब्रिटेन और भारत के लिए आज वैश्विक समुदाय द्वारा सामना की जा रही सर्वाधिक बड़ी सुरक्षा चुनौतियों से निबटने की व्यापक संभावनाएं हैं। रक्षा मंत्री श्री जेटली के साथ मेरी चर्चा का लक्ष्य है यह निर्धारित करना कि हम सर्वश्रेष्ठ तरीके से ऐसा कैसे करें।

मेरी यात्रा का मजबूत भावनात्मक पक्ष भी है। इस अविस्मरणीय समय में मैं प्रथम विश्वयुद्ध में दोनों देशों के बहादुरों के बलिदान के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करने का अवसर पाकर खुद को सम्मानित महसूस करता हूं।

श्री फलोन इंडिया गेट पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर भारतीय अमर शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि प्रदान करेंगे। वह नई दिल्ली में ब्रिटिश उच्चायोग और युनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित प्रथम विश्वयुद्ध में भारतीय सैनिकों के योगदान के विशाल स्मरणोत्सव से पूर्व वह एक महत्वपूर्ण अभिभाषण भी प्रस्तुत करेंगे।

स्वागत समारोह के दौरान मंत्री महोदय वर्तमान भारतीय परिक्षेत्र के छह विक्टोरिया क्रॉस विजेताओं की स्मृति में भारत सरकार को प्रदान करने के लिए विक्टोरिया क्रॉस मेमोरियल्स का अनावरण भी करेंगे। साथ ही वह फ्रांस और फ्लैंडर्स की लड़ाइयों में शामिल भारतीय सैनिकों की डिजिटाइज्ड युद्ध डायरी भी भारत सरकार को सौंपेंगे।

भारतीय वायु सेना के बैंड के साथ रॉयल एयर फोर्स के बैंड द्वारा स्टेज पर साझा प्रस्तुतिकरण पेश किया जाएगा। दर्शकों में भारतीय सैन्य बलों के अधिकारी-गण, वरिष्ठ ब्यूरोक्रेट्स और जानी-मानी भारतीय हस्तियां भी मौजूद रहेंगे जिन्हें भारतीय सैनिकों वाले दुर्लभ ओरिजिनल ब्लैक एंड व्हाइट प्रथम विश्वयुद्ध के फुटेज देखने का अवसर मिलेगा।

आगे की जानकारी

ब्रिटेन की योजना प्रथम विश्वयुद्ध के स्मरणोत्सव को ब्रिटेन और विदेशों में मनाने की है। ब्रिटेन में होने वाले आयोजनों में शामिल हैं इंपीरियल वार म्यूजियम द्वारा आयोजित 4 सालों तक चलने वाले स्मृति उत्सव का एक कार्यक्रम और युद्ध के पश्चिमी मोर्चों को देखने आने वाले छात्रों और शिक्षकों के लिए वित्त की व्यवस्था।

ब्रिटेन इस बात को समझता है कि कई देशों के योगदानों और बलिदानों के बिना उसे विश्वयुद्ध में विजय हासिल नहीं हुई होती। महत्वपूर्ण बात है कि हम इस साझे प्रयास को न भूलें और हमें उस विनाशकारी युद्ध से मिले सबक को अपनी अगली पीढ़ियों तक भी पहुंचाना है। स्मरणोत्सव के थीम होंगे रिमेम्बरेंस (स्मृति), यूथ (युवा) और एजुकेशन (शिक्षा)।

प्रथम विश्वयुद्ध में भारतीय योगदान राष्ट्रमंडल देशों के सबसे बड़े योगदानों में एक है। भारत की ओर से अगुवाई करने वाले यूएसआई (युनाइटेड सर्विसेज इस्टीट्यूट ऑफ इंडिया) के साथ मिलकर ब्रिटेन घनिष्ठ सहभागिता से काम कर रहा है।

  • प्रथम विश्वयुद्ध की शुरुआत 28 जुलाई 1914 में हुई थी और इसका समापन 11 नवंबर 1918 को हुआ।
  • इसमें दुनिया भर की सभी बड़ी शक्तियां शामिल हुईं थीं, 7 करोड़ सैनिकों ने युद्ध में हिस्सा लिया जिनमें से 90 लाख शहीद हुए।
  • ब्रिटेन इस युद्ध में 4 अगस्त 1914 को शामिल हुआ था।
  • 11 लाख से अधिक भारतीय सैनिक प्रथम विश्वयुद्ध में शामिल थे जिनमें से 70 हजार शहीद हुए।
  • भारतीय थल सेना तो प्रमुख थी ही, लेकिन भारतीय नौ सेना का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा और आर्मी फ्लाइंग कॉर्प्स में भारतीयों ने भी अपनी सेवा दी। बंगाल से लेबर बटालियन की भी नियुक्ति की गई थी।
  • भारतीय थल सेना की विशिष्टता इस बात में भी रही है कि वह फ्रांस और फ्लैंडर्स, गैलीपॉली के ऐंजैक्स (ANZACs), मेसोपोटैमिया, फिलिस्तीन और उत्तरी अफ्रीका सहित युद्ध के लगभग सभी मोर्चें पर शामिल हुई थी।
  • श्री फलोन के दादा कैप्टन हैरोल्ड स्पिंक फोर्स डी का हिस्सा थे जिसे 1915 में भारतीय थलसेना के अभियान बल (एक्सपेडिशनरी फोर्स) के रूप में मेसोपोटैमिया में तैनात किया गया था।

ब्रिटेन में स्मरणोत्सव

  • इसकी शुरुआत ग्लासगो कैथेड्रल में राष्ट्रमंडल नेताओं के लिए एक मेमोरियल सर्विस के साथ 4 अगस्त को हुई, जो संयोग से 2014 राष्ट्रमंडल खेलों के समापन समारोह के साथ पड़ी। बेल्जियम के मोंस स्थित सिम्फोरियन मिलिट्री सीमेट्री में एक कार्यक्रम और उसी दिन वेस्टमिंस्टर ऐबे में कैंडल-लिट विजिल का अयोजन किया गया।

  • इसके बाद 4 सालों तक चलने वाला एक कार्यक्रम जिसमें हर साल प्रथम विश्वयुद्ध की एक प्रमुख घटना को लिया जाएगा:

    • अप्रैल 2015 – गैलिपोली

    • 2016 – जटलैंड की लड़ाई और सोम्मे का प्रथम युद्ध

    • 2017 – पैस्चेंडील (Passchendaele)

    • 2018 – आर्मिस्टिस डे।

भारत में स्मरणोत्सव

  • विक्टोरिया क्रॉस और युद्ध डायरियों के अलावा हमने एक बैटल फील्ड गाइड बुक के लिए कोष उपलब्ध कराया है जो यूएसआई के जरिए उन परिवारों को मुहैया कराया जाएगा जो फ्रांस और फ्लैंडर्स के युद्ध मोर्चों को देखने आना चाहते हैं; साथ ही यूएसआई की वित्तीय सहभागिता में एक कॉफी टेबल बुक का प्रकाशन भी जो भारत और महायुद्ध का सचित्र झांकी प्रस्तुत करता है।

स्टुअर्ट ऐडम, प्रमुख,
प्रेस और संचार
ब्रिटिश उच्चायोग,
चाणक्यपुरी, नई दिल्ली- 110021
टेलीफोन: 44192100; फैक्स: 24192411

मेल करें: Deepti.Soni@fco.gov.uk

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प्रकाशित 30 October 2014